मिर्गी यानी एपिलेप्सी एक तंत्रिका सम्बन्धी विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है, जिसमें मस्तिष्क में किसी ख़राबी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है। रोगी को बार-बार दौरे पड़ते हैं। व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है, शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के सभी हिस्सों में देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं। यदि किसी हादसे में किसी व्यक्ति को सिर पर चोट लग गई हो तो भी वह मिर्गी का शिकार हो सकता है। ब्रेन स्ट्रोक या ट्यूमर की समस्या भी मिर्गी का कारण बन सकती है।
जिन कारणों से दौरा पड़ने की आशंका रहती है, उनसे खासतौर से बचें।
- मिर्गी रोगी को तैराकी, ड्राइविंग, खतरनाक मशीनों पर काम करने से बचना चाहिए।
- नियमित रूप से और नियमित समय पर दवा का सेवन करें और जब तक डॉक्टर न कहे, उपचार बंद न करें।
- शराब का सेवन न करें, देर रात तक न जागें।
- 7-8 घंटे की नींद जरूर लें।
- फास्ट फ़ूड और जंक फ़ूड नहीं खाना चाहिए ।
मिर्गी से घबराएं नहीं, उपचार करवाएं रोगी कुछ सावधानियों तथा उचित उपचार के साथ बिल्कुल सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं।