कोरोना के कह़र ने जब अपना खौफनाक रूप दिखाना शुरू किया तभी से पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में जुट गए, पर लगभग 1 वर्ष के भीतर ही कई देश इस वैक्सीन को बनाने में सफल भी हो गए। कुछ वैक्सीन कामयाब निकलीं और कुछ नहीं भी। 2 दिसंबर को ब्रिटेन दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया जिसने फ़ाइज़र/बायोएनटेक की कोरोनावायरस वैक्सीन को व्यापक इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। ब्रिटेन के स्वास्थ्य नियामक एमएचआरए (मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी) ने बताया कि यह वैक्सीन कोरोनावायरस के संक्रमितों को 95 फीसद ठीक कर सकती है। यह दुनिया की सबसे तेज़ी से विकसित वैक्सीन है जिसे बनाने में 10 महीने लगे। उसके बाद दवा कंपनी मार्डना एस्ट्राजेनेका और उसमें तैयार हो रही वैक्सीन को लेकर भी कई ख़बरें ऐसी आई जिनको लेकर दुनिया भर में ख़ुशी ज़ाहिर की गई।
अब रही भारत की बात देश में अलग-अलग करीब 30 कोरोना वैक्सीन बनाने का काम चल रहा था और अब दो कोरोना वैक्सीन्स को मंजूरी मिल गई है। पिछले दिनों पहले कोविड-19 पर बनी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी और फिर डीसीजीआई ने दो टीकों को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी, दोनों वैक्सीन्स मैं से एक भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' है जबकि दूसरी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाई गई 'कोविशील्ड' है। इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर बनाया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार 13 जनवरी से टीकाकरण शुरू कर सकती है भारत सरकार का लक्ष्य जुलाई 2021 तक 30 करोड़ लोगों को कोविड वैक्सीन देने का है इसे विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भी कहा जा रहा है। सरकार का यह भी कहना है कि पहले स्वास्थ्य कर्मियों को मिलेगी वैक्सीन। वैक्सीन पहले निर्माताओं से चार बड़े कोल्ड स्टोर केंद्रों (करनाल, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता) तक जायेंगी, उसके बाद राज्य-संचालित स्टोर्स और फिर जिला स्तर के स्टोर से टीकाकरण केंद्रों को वैक्सीन की पूर्ति की जायेगी।